याग का अर्थ है, त्याग, कर्मो का शुद्धिकरण और समर्पण। यागों के माध्यम से सम्पूर्ण जगत के कल्याण के लिए पवित्र मंत्रोच्चार के बीच जो सामग्री आहूत की जाती है, वह वायु के माध्यम से सूक्ष्मतम कणों के रूप में संसार के सभी जीवों को प्राप्त होती है। याग से वायुमंडल रोगमुक्त, कीटाणुमुक्त और सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाता है। कलयुग में समाज में सुविचार और सद्बुद्धि का आभाव देखा जा रहा है, मिथ्या तर्क, दुर्गुणों से समाज विकृत हो रहा है। ऐसे में यागों में उच्चरित वैदिक मंत्रों की पुनीत ध्वनि आकाश में आच्छादित हो समस्त संसार की चेतना को जागृत करती हैं एवं मन को शुद्ध बनाती हैं।
गीता में कहा गया है –
“यज्ञो दानं तपश्चैव पावनानि मनीषिणाम्।”
अर्थात
याग दान व तप ये कर्म मनुष्यों को पवित्र करने वाले हैं।
श्री वेदव्यास धाम के प्रयत्न से एक ऐसे स्थान पर जहाँ देवतागण वास करते हैं वहाँ , याग करना और उसमें सम्मिलित होना अतिसरल हो गया है। अतः याग के पुण्य फल प्राप्ती हेतु याग अवश्य करें।