श्री वेदव्यास धाम- श्री वेदव्यास धाम आदि गंगा गोमती नदी के पूर्वीतट के अरण्य के बीचो बीच बेहद रमणीय स्थान है। चारो ओर प्राकृतिक सौन्दर्य और चित्त को असीम शांति देने वाला वातावरण मनमोह लेता है। “श्री वेदव्यास धाम” की स्थापना श्री व्यास पीठाधीश अनिल कुमार शास्त्री जी एवम उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सरोज देवी द्वारा 2007 में 88 हजार श्रीमद् भागवत पारायण महायाग के साथ की गई। वास्तव में देखें तो श्री वेदव्यास धाम का इतिहास द्वापर युगीन है, किसी समय यहीं महर्षि शौनक जी का आश्रम हुआ करता था। यहीं भगवान वेदव्यास और शौनक जी का संवाद भी हुआ था।
कलयुग के दुष्प्रभाव से मुक्त माना जाने वाला यह श्रेष्ठ स्थान भगवान वेदव्यास के वंशज श्री अनिल कुमार शास्त्री जी के सनातन धर्म के प्रति आगाध प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
परम पूज्य अनिल शास्त्री जी वेदों के ज्ञान और याग को मानव जगत के कल्याण एवम समाधान की कुंजी मानते हैं।
महर्षि वेदव्यास जी ने पुराणों में कहा है परोपकार करना पुण्य है और पाप का अर्थ है दूसरों को दुःख देना।
“परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ।।”
श्री वेदव्यास धाम के कण कण में प्राचीन सभ्यता और विरासत को अनुभव किया जा सकता है।
यज्ञशाला- यहाँ विश्व के कल्याण की कामना के साथ विश्व की सबसे बड़ी यज्ञशाला का निर्माण किया गया है ,जहाँ निरंतर याग चलता रहता है। प्राचीन विधि-विधानों के अनुसार 130 फीट लम्बी, 130 फीट चौडी, 84 फीट उँची है, तथा 9 कमल की आकृति वाले कुंडों से युक्त हैं। यज्ञशाला में नव निधियों के रूप में 9 पद्माकृति के कुण्ड बनाए गए हैं, जो विषेश दिव्य श्लोकों से प्राप्त आहुतियों से प्राण प्रतिष्ठित हैं। अति विशिष्ट अनुष्ठानों के द्वारा इस यज्ञशाला की दिव्य उर्जा को जागृत किया गया है। यहाँ होने वाले अनुष्ठान का भाग बनने पर भक्त और संत दोनो भगवान को निकट अनुभव करते हैं।
साधना स्थल- श्री वेदव्यास धाम में भगवान श्री गणेश और माता लक्ष्मी का सुन्दर साधना स्थान है, जहाँ सिद्ध श्रीयंत्र माता लक्ष्मी के पास सदैव विराजमान है। यहाँ सातो समुद्र के शंख तथा सभी तीर्थों का पवित्र जल प्रधान कलश मे रखा गया है।
पुस्तकालय एवं वाचनालय- यहाँ 18 पुराणों सहित अनेक प्राचीन ग्रंथों के पठन-पाठन और वाचन की सुविधा उपलब्ध हैं। लोग चाहें तो प्राचीन ग्रंथ और धार्मिक पुस्तकें पुस्तकालय को दान कर सकते है।
वेदव्यास औषधालय- श्री वेदव्यास धाम में कुशल चिकित्सक हैं जो रोगियों को परामर्श एवं उचित इलाज देते है।
श्री राधा-कृष्ण भोजनालय- पूर्णरूप से वातानुकूलित इस भोजनालय में शुद्ध सात्विक भोजन के साथ 50 लोगों के बैठने की समुचित व्यवस्था है।
श्री वेदव्यास धाम में निर्माणाधीन योजनाएं
श्री राधा-कृष्ण मन्दिर- कृष्ण प्राणमयी राधा, राधा प्राणमयो हरिः।
जीवने निधने नित्यं, राधाकृष्णौ गतिर्मम।।
परिसर के अन्दर श्री राधा-कृष्ण का भव्य मंदिर निर्माणाधीन है, जिसमें 1000 श्रद्धालु एक साथ बैठकर भक्ति कर सकें।
गौशाला
त्वं माता सर्व देवानां त्वं च यज्ञस्य कारणम्।
त्वं तीर्थं सर्व तीर्थाणां नमस्ते स्तुसदानद्यो।
अर्थात-
जो गाय सभी देवताओं की माता है,यज्ञ का मूल हेतु है। सभी तीर्थों की तीर्थ उस गाय को प्रणाम है।
श्री वेदव्यास धाम में गौमाता के प्रति इसी भाव को हृदय में धारण कर 108 गायों की सेवा हेतु एक विशाल गौशाला का निर्माण किया जा रहा है।
नैमिषारण्य में भक्तों के ठहरने की असुविधा को ध्यान में रख श्री वेदव्यास धाम में भक्तों के ठहरने की समुचित व्यवस्था है।परिसर में सभी सुख सुविधाओं से परिपूर्ण निवास उपलब्ध हैं। शांत वातावरण में आध्यात्मिक सुख के साथ भौतिक सुविधायुक्त निवास प्रवास को सरल बना देता है। यहाँ निवास, तय शुल्क चुका पहले से आरक्षित कराया जा सकता है।