श्री वेदव्यास धाम में विश्व के कल्याण की कामना के साथ विश्व की सबसे बड़ी यज्ञशाला का निर्माण किया गया है । कहा जाता है ऋषियों मुनियों द्वारा निर्मित यह 10 हजार वर्ष पुरानी यज्ञशाला है । श्री वेदव्यास धाम के पीठाधीश श्री अनिल कुमार शास्त्री जी के वैदिक काल से चले आ रहे यागों के महामात्य को समझ मानव कल्याण के संकल्प और मुम्बईवासी श्री विशाल सुखानी एवम परिवार की सहायता से इसे भव्य रूप में पुनःनिर्मित किया गया है। प्राचीन विधि-विधानों का अनुसरण कर बनाई गई यह यज्ञशाला 130 फीट लम्बी, 130 फीट चौडी, 84 फीट उँची है, तथा 9 कमल की आकृति वाले कुंडों से युक्त हैं। यज्ञशाला में नव निधियों के रूप में 9 पद्माकृति के कुण्ड बनाए गए हैं, जो विषेश दिव्य श्लोकों से प्राप्त आहुतियों से प्राण प्रतिष्ठित हैं। अति विशिष्ट अनुष्ठानों के द्वारा इस यज्ञशाला की दिव्य उर्जा को जागृत किया गया है। यहाँ होने वाले अनुष्ठान का भाग बनने पर भक्त और संत दोनो भगवान को निकट अनुभव करते हैं। श्रद्धालू यहाँ नियमानुसार याग कर सकते हैं और याग के पुण्य फल प्राप्त कर सकते हैं।
यजुर्वेद में कहा गया है की
“वसोः पवित्रमसि।”
अर्थात शुद्धि ही याग का लक्ष्य है।
लोक कल्याण एवं समस्त संसार की शुद्धि हेतु, श्री वेदव्यास धाम पीठाधीश श्री अनिल शास्त्री जी ने यहाँ अनेक याग कराए हैं।
- अक्टूबर माह 1993 में प्रथम 108 श्रीमदभागवत पारायण महायाग
- नवंबर मास 1996 में 1008 भागवत पारायण महायाग का विषेश आयोजन हुआ।
- अप्रैल 2016 में सवा करोड़ आहूतियो से सुसज्जित “श्री शिव शक्ति महायाग” का आयोजन किया गया।
- सितंबर 2016 में गणपति महायाग का आयोजन किया गया।
- मार्च 2017 श्री शिव शक्ति महायाग।
- मार्च 2020 में “सर्वे भवन्तु सुखिनः” के मंत्र के साथ मानव कल्याण हेतु यज्ञ का आयोजन।
- नवंबर 2022 से प्रारंभ विश्व कल्याण की भावना से प्रेरित 501 आचार्यों द्वारा 25 करोड़ दिव्य आहूतियों से युक्त श्री शिव शक्ति महायाग, अगस्त 2024 में सम्पन्न होगा।