Icon

Ashram

A spiritual hermitage in green valleys of the mountains where you can see millions of stars at night.
Icon

Get Involved

Our community is actively involved in the life of locals that require humanitarian support on a regular basis.
Icon

Donation

We appreciate your contribution to the donation programs and will happily accept any help we can get.
About

नैमिषारण्य

"तीरथ वर नैमिष विख्याता,
अति पुनीत साधक सिद्धि दाता।"
तुलसीदास जी ने नैमिषारण्य धाम को तीर्थों का वर यानी श्रेष्ठ कहा है।
वैदिक काल से साधना और ध्यान का केंद्र रहे इस धाम के विषय मे मान्यता है कि चारो धाम की यात्रा तब तक अपूर्ण है जब तक नैमिषारण्य का दर्शन ना कर लिया जाए। कहते हैं भगवान ब्रह्मा के चक्र की नेमि यहीं गिरी थी, चारो ओर आरण्य था, अतः इसका नाम नैमिषारण्य पड़ा और जहां चक्र गिरा वह स्थान चक्रतीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है।

नैमिषारण्य को यदि सनातन धर्म की उद्ग़म स्थली कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।महर्षि वेदव्यास ने इसी पावन धरा पर चारो वेदों, अठारह पुराणों और छः शास्त्रों की रचना की। इसी पुण्य भूमि पर प्रभु श्रीराम ने अश्वमेघ यज्ञ किया था। प्रथम मानव मनु और सतरूपा ने यहीं पुत्र प्राप्ति के लिए 23 हजार वर्षों तक तपस्या की। जिस स्थान पर माता सती की अग्निदग्ध देह से पृथक हो हृदय गिरा वह स्थान कोई अन्य नहीं
नैमिषारण्य ही था। अब इसी स्थान पर माता ललिता देवी का प्राचीन मंदिर स्थित है। 88,000 हजार ऋषियों मुनियों की तपोस्थली रहा नैमिषारण्य महर्षि दधीचि के सर्वोच्च बलिदान का साक्षी रहा है।

गोस्वामी तुलसीदास नें रामचरितमानस में इसी नैमिषारण्य की महिमा का गान मुक्तकंठ से गाया । हर सनातनी के घर में बांची जाने वाली सत्यनारायण कथा सर्वप्रथम यही सुनाई गई। नैमिषारण्य का उल्लेख वेदों, पुराणों, वाल्मिकी रामायण के अतिरिक्त तमिल ग्रंथो में भी मिलता है। कहतें हैं यहां एक वटवॄक्ष लगभग १० हजार वर्षों से भी अधिक प्राचीन माना जाता है और नैमिषारण्य के धार्मिक योगदान का साक्षी है। यह तपो भूमि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 100 कि.मी. की दूरी तथा सीतापुर से लगभग 40 कि.मी .एवं हरदोई से लगभग 38 किलोमीटर दूर स्थित है। नैमिषारण्य का दर्शन सनातन धर्मियों के गौरव एवं विश्व के लिये एक आध्यात्मिक विज्ञान के शोध का केंद्र रहा है।

0
Yoga Teachers
0
Volunteers
0
Support Groups
0
Special Events